आंदोलन की आड़ में सामाजिक कार्यकर्ताओं को खत्म करने की साजिश- हिंदू महासभा

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जिले के अंतरवाली सराती में भूख हड़ताल के दौरान पुलिस ने मनोज जरांगे पाटिल पर लाठीचार्ज किया. इस घटना के विरोध में मराठा समुदाय, राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ विभिन्न संगठनों ने जालना शहर में रास्ता रोको विरोध प्रदर्शन किया था. इस विरोध प्रदर्शन में पथराव और आगजनी हुई. इस पर पुलिस ने आयोजकों समेत मराठा समुदाय के कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया. हिंदू महासभा के धनसिंह सूर्यवंशी ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने इन अपराधों को दर्ज करते समय किसी भी तरह की जांच नहीं की और यह केवल सामाजिक कार्यकर्ताओं की हत्या की साजिश है. इस संबंध में जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पुलिस के कहने पर अंतरवाली सराती के प्रदर्शनकारियों की पिटाई की गयी. पुलिस ने बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं पर भी लाठियां बरसाईं. यह शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने का प्रयास है. यह घटना निंदनीय है. और इस घटना का असर पूरे राज्य में गूंज रहा है. वहीं, मराठा महासंघ ने भी पिटाई की घटना के विरोध में जालना शहर में रास्ता रोको विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. इस विरोध प्रदर्शन में जिले भर से मराठा समाज के लोगों के साथ-साथ बड़ी संख्या में विभिन्न दलों के नेता, विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी आदि मौजूद थे. आंदोलन के दौरान कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पथराव किया और एक ट्रक को जला दिया, यह घटना भी निंदनीय है. हालांकि, उम्मीद थी कि पुलिस सीसीटीवी कैमरे, वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए ऐसा करने वालों का पता लगाएगी और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा. धनसिंह सूर्यवंशी ने कहा कि यह सही नहीं है कि पहले मराठा महासंघ के जिला अध्यक्ष पर आरोप लगाया गया क्योंकि उन्होंने केवल प्रोजेक्ट के संबंध में अनुमति पत्र दिया था.
मराठा महासंघ के जिला अध्यक्ष अरविंद देशमुख ही नहीं, अशोक पादुल, युवा उद्यमी शाम सिरसथ, सरपंच राहुल गवारे, विष्णु पचफुले, प्रशांत गड्डेकर और अन्य पर झूठे मामले दर्ज किए गए हैं। जिन लोगों पर आरोप लगाया गया है वे सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले लोग हैं. ये सामाजिक कार्यकर्ता न केवल मराठा समुदाय के लिए बल्कि अन्य समुदाय के मुद्दों के लिए भी लड़ने में हमेशा आगे रहते हैं। यहां उनके खिलाफ अपराध दर्ज कर उन्हें हतोत्साहित करने का काम किया जा रहा है. समाज के लिए बोलना हो या लड़ना हो भविष्य में इस प्रकार की स्थिति निर्मित होने वाली है। कोई भूख हड़ताल करने के लिए आगे नहीं आएगा. यदि ऐसा हुआ भी तो यह समस्या रहेगी कि आयोजक कौन हो और अनुमति किससे मांगी जाए। श्री धनसिंह सूर्यवंशी ने गंभीर आरोप लगाया है कि इन लड़ाई-झगड़े की बात करने वाले समाजसेवियों को इस तरह से मौत के घाट उतारा जा रहा है। अंत में उन्होंने यह भी मांग की है कि आंदोलन में आगजनी करने वालों की तलाश की जाए और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए और झूठे मुकदमे तुरंत वापस लिए जाएं.