सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में संभावित परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए ‘मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना 2.0’ योजना लागू की है, जो सौर ऊर्जा का व्यापक प्रचार है। अधिकांश फीडर सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। इसलिए कृषि को प्रतिदिन 12 घंटे बिजली आपूर्ति से उद्योगों पर क्रॉस सब्सिडी का बोझ कम होगा।
सौर ऊर्जा सस्ती और हरित ऊर्जा है। सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के दौरान कोई दहन नहीं होता है। हमारे देश में उष्ण कटिबंध में, सूर्य का प्रकाश एक प्रचुर स्रोत है। इसलिए, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार ने राज्य के बिजली उत्पादन क्षेत्र में सौर ऊर्जा का एक मजबूत विकल्प स्थापित करने के लिए ‘मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना 2.0’ को लागू करने का निर्णय लिया है।
पिछले एक दशक में बिजली क्षेत्र में बड़े बदलाव हुए हैं। 2017 में मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना नाम की एक महत्वाकांक्षी भविष्योन्मुख योजना शुरू की गई थी। इसमें इस बात पर विचार किया गया कि औद्योगिक उपभोक्ताओं के साथ किसान लागत प्रभावी सौर ऊर्जा से कैसे लाभान्वित हो सकते हैं। योजना के माध्यम से किसानों को दिन में बिजली की आपूर्ति उपलब्ध होगी और यह सिंचाई के काम आएगी। गांवों में विभिन्न सुविधाएं और कार्यालय पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा से संबंधित एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। परियोजना के लिए उपयुक्त भूमि प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।
‘मिशन 2025’
देश ने 2030 तक 450 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है। आम तौर पर एक राज्य में 7000 मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा। बिजली की मांग में महाराष्ट्र सबसे आगे है। राज्य में बिजली पंपों की संख्या 45 लाख है। कुल बिजली खपत में कृषि का योगदान 22 प्रतिशत है।
कृषि को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराने के लिए हर साल सरकार बड़ी मात्रा में सब्सिडी देती है। बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए भविष्य में क्रॉस सब्सिडी के माध्यम से कृषि बिजली दरों को सीमित करने की सीमा हो सकती है। इस लिहाज से यह योजना सभी बिजली उपभोक्ताओं, किसानों और बिजली उत्पादन क्षेत्र के लिए उपयोगी है। इसके अनुसार, दिसंबर 2025 तक 30 प्रतिशत कृषि बिजली आपूर्ति सौर ऊर्जा में लाने का प्रयास है। उपमुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ‘मिशन 2025’ के माध्यम से मुख्यमंत्री सौर कृषि चैनल योजना को तेजी से और व्यापक रूप से लागू करने का निर्देश दिया है और इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं.
योजना में कृषि को दिन के समय विद्युत आपूर्ति के साथ-साथ अनेक प्रोत्साहन सुविधाएं प्रदान की गई हैं। परियोजना हेतु भूमि पट्टे पर देने के इच्छुक कृषकों को रू0 1 लाख 25 हजार प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष की दर से पट्टा दिये जाने का प्रावधान है, ऐसी परियोजनायें महावितरण के उपकेन्द्रों के समीप उपलब्ध भूमि में स्थित होंगी। बड़े-बड़े उद्यमियों ने भी सोलर पावर प्रोजेक्ट लगाने की तैयारी दिखाई है। जिन ग्राम पंचायतों ने ऐसी परियोजनाएँ स्थापित की हैं, उन्हें भी पहले तीन वर्षों के लिए 5 लाख रुपये प्रति वर्ष की सब्सिडी दी जाएगी। योजना के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा में आवश्यक कौशल विकसित कर रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
इस अभियान में राज्य में 30 हजार करोड़ रुपए के निवेश की उम्मीद है। योजना का क्रियान्वयन न केवल राज्य बल्कि देश के विद्युत उत्पादन क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
हर्षवर्धन पवार, जिला सूचना अधिकारी, अमरावती